टीआरपी मामले पर लगे सभी आरोपों पर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए सफाई दी है।
रिपब्लिक का कहना है कि, उसे बार्क ने 17 अक्टूबर 2020 और 20 नवंबर 2020 को ईमेल करके बताया था कि, रिपब्लिक टीवी के द्वारा टीआरपी को लेकर किसी तरह के जोड़-तोड़ का सवाल ही नहीं है। इसके साथ ही मुंबई पुलिस को जवाब देते हुए रिपब्लिक ने कहा कि, मुंबई पुलिस जुलाई 2020 से किस फोरेंसिक रिपोर्ट का जिक्र कर रही है। बार्क के ईमेल हमारे पास नवंबर और दिसंबर 2020 के है। यह सामान्य ज्ञान को परिभाषित करता है कि बार्क नवंबर और दिसंबर में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क को पूरी तरह से क्लीन चिट क्यों देगा? मुंबई पुलिस को उस बारे में सोचना चाहिए था। रिपब्लिक को मिलने वाले दर्शकों की संख्या में 2020 के सेकंड हॉफ में इजाफा हुआ था। तब बार्क की पहले कि व्यवस्था बार्क को छोड़ चुकी थी। मुंबई पुलिस के पास इसका कोई जवाब है ? क्या बार्क की मौजूदा व्यवस्था रिपब्लिक टीवी की रेटिंग के लिए दोषी है ?
रिपब्लिक ने कई पॉइंटों में अपनी बात रहते हुए कहा कि, पिछले तीन महीने से मुंबई पुलिस हमारे नेटवर्क को निशाना बनाने के लिए सबकुछ कर रही है और हर बार नाकाम हो रही है।
रिपब्लिक ने कहा कि मुंबई पुलिस बार्क की मौजूदा व्यवस्था को मदद के लिए धन्यवाद के रही है। यह बार्क की वही व्यवस्था है, जिसमें रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क हिंदी और इंग्लिश में नंबर वन हैं। क्या मुंबई पुलिस बार्क की मौजूदा व्यवस्था की जांच करेगी कि रिपब्लिक कैसी नंबर वन बना ? क्या यह स्पष्ट नहीं कि नेटवर्क की पहुँच लगातार बढ़ रही है इससे कोई फर्क नहीं की बार्क में कौन है ?
मौजूदा बार्क की व्यवस्था ने प्रसार भारती के सीईओ को पत्र लिख कर बताया कि, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क द्वारा अभी तक कोई हेरा-फेरी नहीं हुई है। प्रसार भारती के सीईओ बार्क बोर्ड में सर्कार के प्रतिनिधि है। क्या मुंबई पुलिस इस पत्र को स्वीकार करती है या इसकी सत्यता को चुनौती देती है?
अंत में रिपब्लिक ने कहा कि, मुंबई पुलिस सिर्फ एक मकसद से जांच कर रही है कि रिपब्लिक को टारगेट किया जाए।