ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने दावा किया है कि, उन्होंने रेटिंग सिस्टम में कोई हेर-फेर नहीं किया है। बार्क में वो अकेले नहीं थे।
मीडिया रिपोर्ट की ख़बरों को आधार माने तो 30 दिसंबर को पार्थो दासगुप्ता के वकील कमलेश घुमरे ने जमानत याचिका को पेश करते हुए दलील दी कि, पार्थो दासगुप्ता बार्क के सीईओ जरूर थे, लेकिन उनके ऊपर एक निदेशक मंडल और एक अनुशासन समिति भी थी। पार्थो का बार्क पर अकेला राज नहीं था। उन्होंने रेटिंग सिस्टम में कोई हेर फेर नहीं की।
आपको बता दें कि, कोर्ट पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका पर 1 जनवरी 2021 को सुनवाई करेगा।
पार्थो को मुंबई पुलिस ने 25 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। मुंबई पुलिस का दावा है कि, बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को एक चैनल की रेटिंग को बढ़ने के लिए पैसे मिले थे।
आपको बता दें कि पाथो की नै रिमांड के लिए क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के अधिकारियों ने उन्हें कोर्ट में पेश किया था। इस दौरान कोर्ट में पेश की गयी रिमांड एप्लीकेशन में लिखा गया था कि पार्थो ने बार्क के सीईओ पद पर रहते हुए साल 2017 से 2019 के बीच रिपब्लिक टीवी को नंबर वन चैनल बनाया। बदले में उन्हें लाखों रुपए मिले, जिससे पाथो ने गहने और दूसरी कीमती वस्तुएं खरीदी। बता दें कि क्राइम इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने उनके पास से 1313 ग्राम से भी अध्क के आभूषण जब्त किये है।
पार्थो से पहले मुंबई पुलिस ने टीआरपी मामले में बार्क के पूर्व सीओओ रोमिल रामगढ़िया को गिरफ्तार किया था।
टीआरपी घोटाले का मामला इस साल अक्टूबर में तब सामने आया था जब हंसा रिसर्च ने शिकायत दर्ज करवाते हुए आरोप लगाया कि, कुछ चैनल जिन घरों में बारो मीटर लगे है उन घरों को भुगतान करके टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरा फेरी कर रहे हैं।