एनबीएफ यानी न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन ने एंटीलिया मामले को लेकर के सस्पेंड असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाज़े से संबंध रखने वाले सवाल बार्क से किये हैं। दरअसल, आरोप है के ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च कॉउंसिल (बार्क) ने सचिन वाज़े को टीआरपी मामले में रिश्वत दी थी। इसी को लेकर के एनबीएफ के सेक्रेटरी जनरल आर जय कृष्णा ने बार्क इंडिया के चेयरमैन पुनीत गोयनका को पत्र लिखकर के बार्क से सवाल किये हैं। एनबीएफ ने बार्क द्वारा सचिन वाज़े को 30 लाख रुपए की रिश्वत दिए जाने को लेकर के सवाल पुछा है।
एनबीएफ ने पत्र में कहा है कि, हमें मिली जानकारी के अनुसार बार्क ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने 30 लाख रुपए की रिश्वत भुगतान की बात को स्वीकार किया है।
पत्र में एनबीएफ ने बार्क से सवाल किया हैं कि –
क्या बार्क या उसके अधिकारियों ने सचिन वाज़े को या फिर उसके सहयोगियों को रिश्वत के तौर पर 30 लाख रुपए दिए ?
अगर हां तो रिश्वत का भुगतान कब किया गया ?
बार्क के कौन से अधिकारी है जो इस लेन देन के बारे में जानते हैं?
क्या बार्क के सीईओ या किसी बोर्ड मेंबर्स को इस रिश्वत के बारे में जानकारी थी ?
क्या बार्क ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को रिश्वत के बारे में सूचित किया ?
क्या आप इस बात को जानते थे कि, सचिन वाज़े रिश्वत लेने के बाद टीआरपी मामले में झूठे आरोपों को हटाने में सक्रीय भूमिका निभा रहा था ?
क्या यह बात सच है कि रिश्वत तब दी गयी थी जब न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन अपने सदस्य चैनलों के खिलाफ लगे झूठे आरोपों को लेकर के बार्क को लगातार अवगत करा रहा था ?
क्या आपको पता है कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 8 और 9 के तहत रिश्वत भुगतान की शिकायत अगर 7 दिनों के भीतर
रिश्वत देने वाले द्वारा नहीं की जाती तो यह दंडनीय है। इसमें जेल भी हो सकती है और जेल की अवधि 7 सालों तक बढ़ भी सकती है।